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Gensol Engineering Share: इस एनर्जी स्टॉक में लगा लोअर सर्किट, ₹60 के नीचे आया शेयर का भाव

Gensol Engineering Share: कभी बाजार की पसंदीदा कंपनी रही Gensol Engineering के शेयर की कीमत में पिछले 40 दिनों में भारी गिरावट आई है। पिछले दो हफ्तों में कंपनी का शेयर लगातार 5% लोअर सर्किट को छू रहा है। गुरुवार को भी कंपनी के शेयर में 5% लोअर सर्किट (Lower Circuit) लगा और शेयर 59.78 रुपये पर आ गया। आपको बता दें कि SAT के हाल ही में किसी भी अंतरिम राहत से इनकार करने के निर्देश ने चिंताएं और बढ़ा दी हैं। कुछ महीने पहले ही जेनसोल का शेयर 52 हफ्ते के उच्चतम स्तर 1,124.90 रुपये पर था। आज यह लगातार 20वें लोअर सर्किट में बंद होकर 59.78 रुपये पर है। यह इसके 52 हफ्ते के उच्चतम स्तर से 94% की बड़ी गिरावट है। वहीं, 2 साल में शेयर में 98% की गिरावट आई है। अक्टूबर 2023 में इसकी कीमत 2400 पर थी।

Gensol engineering share
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SAT ने राहत देने से किया इनकार

उसकी मुश्किलें तब और बढ़ गईं जब सिक्योरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल (SAT) ने कोई भी अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। जेनसोल ने SEBI के आदेश के खिलाफ अपील की थी और इसे जल्दबाजी और अनुचित बताया था। कंपनी ने दावा किया था कि उसे जवाब देने का उचित अवसर नहीं दिया गया और यह कार्रवाई उसके कारोबार को नुकसान पहुंचा रही है। लेकिन SAT इससे सहमत नहीं था। उसने जेनसोल को दो सप्ताह के भीतर अपना औपचारिक जवाब दाखिल करने को कहा और SEBI को अपना अंतिम आदेश जारी करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया।

शेयर में लगातार गिरावट का कारण

आपको बता दें कि यह तेज गिरावट अप्रैल में बाजार नियामक SEBI द्वारा कंपनी पर लगाए गए प्रतिबंध के बाद शुरू हुई थी। इसने जेनसोल और उसके प्रमोटरों पर फंड डायवर्ट (Funds Diverted) करने, दस्तावेजों में हेराफेरी करने और नियामकों और निवेशकों को गुमराह करने का आरोप लगाया था। इन आरोपों ने दलाल स्ट्रीट में हलचल मचा दी और लगातार बिकवाली शुरू हो गई। इसके अलावा, बाजार नियामक सिर्फ आरोप लगाने तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि उसने कंपनी और उसके प्रमोटरों को प्रतिभूति बाजार तक पहुंचने से भी रोक दिया। इसका सीधा सा मतलब है कि कंपनी न तो फंड जुटा सकती है और न ही स्वतंत्र रूप से व्यापार कर सकती है, जिससे और अराजकता फैल सकती है।

कंपनी मुश्किल में

अब आर्थिक अपराध शाखा में शिकायत दर्ज कराई गई है। IREDA और PFC जैसे ऋणदाताओं ने जेनसोल द्वारा प्राप्त पुनर्भुगतान प्रमाणपत्रों से खुद को अलग कर लिया है। कथित तौर पर भुगतान चूक को छिपाने के लिए इन प्रमाणपत्रों में जालसाजी की गई थी। गड़बड़ी को और बढ़ाते हुए, कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने अपनी जांच शुरू कर दी है, और जेनसोल के शीर्ष प्रमोटर अनमोल सिंह जग्गी को किसी भी सूचीबद्ध कंपनी में कार्यकारी भूमिका निभाने से रोक दिया गया है।

978 करोड़ रुपये का ऋण रहस्य

विवाद के केंद्र में इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) खरीदने के लिए लिया गया 978 करोड़ रुपये का भारी भरकम ऋण है। यह पैसा अपनी सहायक कंपनी ब्लूस्मार्ट मोबिलिटी (Bluesmart Mobility) को 6,400 ईवी पट्टे पर देने के लिए था। हालांकि, SEBI का दावा है कि जेनसोल ने केवल 4,700 ईवी खरीदे और एक साल बाद भी 262 करोड़ रुपये का हिसाब नहीं दे सका।

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