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Gems and Jewellery: भारतीय रत्न और आभूषण उद्योग की सुस्त वैश्विक मांग के बीच चुनौतियाँ और बदलते व्यापार रुझान

Gems and Jewellery: भारत का रत्न और आभूषण क्षेत्र लंबे समय से वैश्विक स्तर पर अपनी मजबूत पकड़ बनाए हुए है, लेकिन हाल के महीनों में दुनिया भर की कमजोर मांग, उच्च व्यापार शुल्क और वित्तीय दबावों ने इस उद्योग की गति को प्रभावित किया है। वैश्विक बाज़ार में अनिश्चितता, (uncertainty) अमेरिकी टैरिफ में बढ़ोतरी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपभोक्ता व्यवहार में आए बदलावों ने भारतीय निर्यातकों के लिए स्थिति और चुनौतीपूर्ण बना दी है।

Gems and jewellery
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अक्तूबर 2025 में निर्यात और आयात में तेज गिरावट

रत्न और आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद के नवीनतम आंकड़ों से स्पष्ट है कि अक्तूबर 2025 भारतीय उद्योग के लिए कमजोर महीना साबित हुआ। इस दौरान कुल सकल निर्यात में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई, जबकि आयात भी दो अंकों में गिरा। डॉलर मूल्य के लिहाज से देखा जाए तो वैश्विक दबावों (global pressures) ने भारतीय शिपमेंट की प्रतिस्पर्धात्मकता को कम कर दिया है, जिससे व्यापारिक गतिविधियों में सुस्ती आई है।

व्यापार शुल्कों और वैश्विक नीतियों का उद्योग पर असर

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई देशों द्वारा लगाए गए ऊंचे व्यापार शुल्क अब भारतीय निर्यातकों के लिए भारी पड़ रहे हैं। उद्योग विशेषज्ञों (experts) का मानना है कि टैरिफ बढ़ने से लागत प्रभावित हुई है और विदेशी खरीदारों के ऑर्डर कम हुए हैं। भारतीय कंपनियां वर्तमान बाजार स्थिति को देखते हुए अपने स्टॉक का पुनर्मूल्यांकन कर रही हैं, ताकि अनिश्चितता के दौर में जोखिम को कम किया जा सके।

सोना और हीरा बाज़ार में उतार-चढ़ाव की चुनौती

घरेलू बाज़ार भी इन परिस्थितियों से अछूता नहीं रहा। सोने और हीरे की कीमतों में लगातार होने वाले बदलाव के कारण निर्यातकों को रणनीति बदलनी पड़ी है। मजबूत डॉलर और भारतीय मुद्रा में उतार-चढ़ाव ने मूल्य प्रतिस्पर्धा को और कठिन किया है। इसके अलावा, प्रयोगशाला (laboratory) में विकसित हीरों की बढ़ती लोकप्रियता ने प्राकृतिक हीरा उद्योग पर दबाव बढ़ाया है, क्योंकि कम लागत वाले विकल्प से अंतरराष्ट्रीय उपभोक्ता तेजी से आकर्षित हो रहे हैं।

कटे और पॉलिश किए गए हीरों के निर्यात पर प्रभाव

अक्तूबर महीने में कटे और पॉलिश किए गए हीरों के निर्यात में बड़ी कमी देखी गई, जबकि आयात भी तेज गिरावट के साथ निचले स्तर पर पहुंच गया। अमेरिकी टैरिफ और प्रयोगशाला में विकसित हीरों से बढ़ती प्रतिस्पर्धा (Competition) ने भारतीय प्राकृतिक हीरा उद्योग के लाभांश को सीमित कर दिया है। कई निर्माता लागत बचाने के लिए उत्पादन में कटौती कर रहे हैं और नए आयात करने की बजाय मौजूदा स्टॉक के उपयोग को प्राथमिकता दे रहे हैं।

सोने के आभूषणों के निर्यात में गिरावट लेकिन वार्षिक आंकड़े सकारात्मक

अक्तूबर में सोने के आभूषणों का निर्यात भी कमज़ोर रहा, क्योंकि 50 प्रतिशत अमेरिकी टैरिफ ने भारतीय उत्पादों को वैश्विक बाजार में कम प्रतिस्पर्धी बना दिया। कई विदेशी खरीदारों ने ऑर्डर (Order) रद्द कर दिए, जिससे विदेशी कमाई में गिरावट आई। हालांकि, अप्रैल से अक्तूबर 2025 के बीच सोने के आभूषणों के निर्यात में सुधार दिखाई दिया है, जिसका कारण शुरुआती महीनों में मजबूत मांग और ऊंची सोने की कीमतें हैं।

चांदी के आभूषणों के निर्यात में स्थिर बढ़त

जहाँ सोना और हीरा निर्यात प्रभावित हुए, वहीं चांदी के आभूषणों का प्रदर्शन तुलनात्मक रूप से बेहतर रहा। चांदी की कीमतें सोने की तुलना में किफायती होने के कारण अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में इसकी मांग बनी हुई है। वर्ष 2025 की अप्रैल से अक्तूबर अवधि में चांदी के आभूषणों के निर्यात में डॉलर और रुपये दोनों के मूल्य के आधार पर वृद्धि (Growth)दर्ज की गई है।

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